अल्साये तन ने ली अंगङाई।
फिर मन ही मन मैं मुस्काई,
कल शाम फिर तेरी याद आई।।
कोई पास से गुजरा अहसास हुआ,
तेरी खुशबू का आभास हुआ।
किसी ने हल्के से छुआ ये पास हुआ,
कोई ना पा हृदय उदास हुआ।।
रिमझिम रिमझिम आईं फूहार,
कसक उठी ख़तम हो इंतज़ार,
छेङे कोई कोयल मल्लहार,
तोङ बन्धन प्रियतम,बरसाओ प्यार ।।
तुम आंश्कित, भर्मित, कूङ रहे,
अपने ही आप से जूझ रहे।
मैं हूँ तेरी ना बूझ रहे,
विश्वत करने के यत्न न सूझ रहे।।
जब तक दिल से दिल की राह बने,
हों ऍक तन-मन चाह बने,
तुम आवो कि सावन माह बने,
कहीं मेरी ये चाह न आह बने।।
सब काम तुम्हारे कभी न हल होंगे,
गुज़र रहे जो अब, कल बीते पल होंगे।
कचे घाव दुखते भरे गरल होंगे,
बुझे चिराग फिर जगने न सरल होंगे।।
कलमबधः जुलाई ९,२००७
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